देशभर में त्योहारों के समय मंदिरों में पूजा, आरती, हवन, अनुष्ठान जैसे धर्म कर्म के कार्य किए जाते हैं, लेकिन लॉकडान के चलते अभी सब कुछ बंद है. लोगों ने घर में ही नवरात्रि, रामनवमी, हनुमान जयंती मनाई है. घर में आप हर रोज पूजा तो करते ही होंगे, बस उसी पूजा को थोड़ा-बहुत व्यवस्थित तरीके से करना होगा. जब भी कोई तीज त्योहार आए तो घर पर पूजा और आरती जरूर करें. हवन करने की जरूरत हो तो ही हवन भी करें. हवन के लिए किसी पंडितजी से फोन पर ही सलाह ले लें. आइए आपको बताते हैं कि भविष्य में आने वाले पर्व और उत्सव के समय आप सीमित संसाधन के साथ उन्हें कैसे मनाएंगे और इस दौरान कैसे पूजा व आरती करेंगे.
घर में पूजा करने के नियम
घर के ईशान कोण में पूजा करें. पूजा के समय व्यक्ति का मुंह ईशान, पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए. पूजा के लिए उचित मुहूर्त देखें या दोपहर 12 से शाम 4, रात्रि 12 से सुबह 3 बजे के बीच का समय छोड़कर पूजा करें. पूजन के समय पंचदेव की स्थापना जरूर करें. आपको बता दें कि सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा जाता है. पूजा के समय सभी एकत्रित होकर पूजा करें. पूजा के दौरान किसी भी प्रकार का शोर न करें.
पूजा की सामग्री
पूजा या हवन के लिए सबसे पहले पूजा सामग्री जुटाएं. इसके लिए हवन कुंड, काष्ठ, समिधा नवग्रह की नौ समिधा (आक, ढाक, कत्था, चिरचिटा, पीपल, गूलर, जांड, दूब, कुशा) और घी आम या ढाक की सूखी लकड़ी, कूष्माण्ड (पेठा), 15 पान, 15 सुपारी, लौंग 15 जोड़े, छोटी इलायची 15, कमल गट्ठे 15, जायफल 2, मैनफल 2, पीली सरसों, पंच मेवा, सिन्दूर, उड़द मोटा, शहद 50 ग्राम, ऋतु फल 5, केले, नारियल 1, गोला 2, गूगल 10 ग्राम, लाल कपड़ा, चुन्नी, गिलोय, सराईं 5, आम के पत्ते, सरसों का तेल, कपूर, पंचरंग, केसर, लाल चंदन, सफेद चंदन, सितावर, कत्था, भोजपत्र, काली मिर्च, मिश्री, अनारदाना, चावल 1.5 किलो, घी एक किलो, जौ 1.5 किलो, तिल 2 किलो, बूरा तथा सामग्री श्रद्धा के अनुसार. अगर, तगर, नागर मोथा, बालछड़, छाड़छबीला, कपूर कचरी, भोजपत्र, इन्द जौ, सितावर, सफेद चन्दन बराबर मात्रा में इन सामग्री में मिलाएं.
उपरोक्त बताई गई सामग्रियों में से जितना एकत्रित हो सके ठीक है नहीं हो सके तो हल्दी, कुंकू, चंदन, चावल, तुलसी, दूध, प्रसाद, अगरबत्ती, पांच फल, मिठाई, दीपक, घी, फूल, माला और लाल कपड़ा ही पर्याप्त है. इसके अलावा गंगाजल, शंख, गरुड़ घंटी, शालिग्राम, शिवलिंग और पीतल की गणेश मूर्ति भी रखें. गंगाजल, तुलसी के पत्ते, बिल्वपत्र और कमल, ये चारों किसी भी अवस्था में बासी नहीं माने जाते हैं. इसलिए इनका उपयोग पूजन में कभी भी किया जा सकता है.
कैसे करें पूजा
पूजन में शुद्धता व सात्विकता का विशेष महत्व है. इस दिन सुबह स्नान-ध्यान से निवृत हो भगवान का स्मरण करते हुए भक्त व्रत एवं उपवास का पालन करते हुए भगवान का भजन व पूजन करते हैं.
नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद अपने ईष्ट देव या जिसका भी पूजन कर रहे हैं उन देव या भगवान की मूर्ति या चित्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें. मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ कर लें.
पूजन में देवताओं के सामने धूप, दीप अवश्य जलाएं. देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए.
फिर देवताओं के मस्तक पर हल्दी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं. फिर उन्हें माला और फूल चढ़ाएं. इसके बाद उनकी आरती उतारें. पूजन में अनामिका उंगुली से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए.
पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं. ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में बिल्कुल नहीं किया जाता है. प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखें.
अंत में भगवान की आरती करें. जिस भी देवी या देवता के तीज त्योहार पर या नित्य उनकी पूजा की जा रही है तो अंत में उनकी आरती करके और नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है.
घर में जब भी कोई विशेष पूजा करें तो अपने इष्टदेव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी किया जाता है. आप ऑनलाइन भी किसी पंडित की मदद से विशेष पूजा कर सकते हैं. विशेष पूजन पंडित की मदद से ही करवाने चाहिए ताकि पूजा विधिवत हो सके.
हवन विधि
हवन करने के लिए आपके पास हवन कुंड होना चाहिए. आप 8 ईंट जमाकर भी हवन कुंड बना सकते हैं. हवन कुंड को गोबर या मिट्टी से लेप लें. कुंड इस प्रकार बनने चाहिए कि वे बाहर से चौकोर रहें. इसकी लंबाई, चौड़ाई व गहराई समान हो. इसके चारों और धागा बांध दें. फिर इस पर स्वास्तिक बनाकर इसकी पूजा करें. हवन कुंड में आम की लकड़ी से अग्नि प्रज्वलित करते हैं. अग्नि प्रज्वलित करने के पश्चात इस पवित्र अग्नि में फल, शहद, घी, काष्ठ पदार्थों की आहुति दी जाती है.
हवन करने से पूर्व स्वच्छता का ख्याल जरूर रखें. सबसे पहले रोज की पूजा करने के बाद अग्नि स्थापना करें फिर आम की चौकोर लकड़ी लगाकर, कपूर रखकर जला दें. इसके बाद नवग्रह के नाम या मंत्र से आहुति देने के बाद उन मंत्रों से आहुति देते हुए हवन शुरू करें जिन देवता के नाम पर यह हवन किया जा रहा है. आपको प्रत्येक देव के हवन मंत्र ऑनलाइन मिल जाएंगे.
पूर्ण आहुति के बाद भगवान की मूर्ति के पास दक्षिणा रख दें. फिर परिवार सहित आरती करके हवन संपन्न करें और जिन देव के निमित्त हवन किया गया है उनसे क्षमा मांगते हुए मंगलकामना करें.
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं, समता सन्देश इनकी पुष्टि नहीं करता है, इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.